अध्याय 8 श्लोक 23

यत्र, काले, तु, अनावृत्तिम्, आवृत्तिम्, च, एव, योगिनः,
प्रयाताः यान्ति, तम्, कालम्, वक्ष्यामि, भरतर्षभ ।।23।।

अनुवाद: (भरतर्षभ) हे अर्जुन! (यत्र) जिस (काले) कालमें (प्रयाताः) शरीर त्यागकर गये हुए (योगिनः) योगीजन (तु) तो (अनावृत्तिम्) वापस न लौटने वाली गतिको (च) और जिस कालमें गये हुए (आवृत्तिम्) वापस लौटनेवाली गतिको (एव) ही (यान्ति) प्राप्त होते हैं (तम्) उस गुप्त (कालम्) कालको अर्थात् दोनों मार्गोंको (वक्ष्यामि) कहूँगा। (23)

केवल हिन्दी अनुवाद: हे अर्जुन! जिस कालमें शरीर त्यागकर गये हुए योगीजन तो वापस न लौटने वाली गतिको और जिस कालमें गये हुए वापस लौटनेवाली गतिको ही प्राप्त होते हैं उस गुप्त कालको अर्थात् दोनों मार्गोंको कहूँगा। (23)