अध्याय 15 श्लोक 19

यः, माम्, एवम्, असम्मूढः, जानाति, पुरुषोत्तमम्,
सः, सर्ववित्, भजति, माम्, सर्वभावेन, भारत।।19।।

अनुवाद: (भारत) हे भारत! (यः) जो (असम्मूढः) ज्ञानी पुरुष (माम्) मुझको (एवम्) इस प्रकार तत्वदर्शी संत के अभाव से (पुरुषोत्तमम्) पुरुषोत्तम (जानाति) जानता है (सः) वह (सर्वभावेन) सब प्रकारसे (माम्) मुझकोही (सर्ववित्) सर्वस्वा जानकर (भजति) भजता है। (19)

हिन्दी: हे भारत! जो ज्ञानी पुरुष मुझको इस प्रकार तत्वदर्शी संत के अभाव से पुरुषोत्तम जानता है वह सब प्रकारसे मुझकोही सर्वस्वा जानकर भजता है।