अध्याय 8 श्लोक 19
भूतग्रामः, सः, एव, अयम्, भूत्वा, भूत्वा, प्रलीयते,
रात्रयागमे, अवशः, पार्थ, प्रभवति, अहरागमे।।19।।
अनुवाद: (पार्थ) हे पार्थ! (सः,एव) वही (अयम्) यह (भूतग्रामः) प्राणी समुदाय (भूत्वा, भूत्वा) उत्पन्न हो होकर (अवशः) संस्कार वश होकर (रात्रयागमे) रात्रिके प्रवेशकालमें (प्रलीयते) लीन होता है और (अहरागमे) दिनके प्रवेशकालमें फिर (प्रभवति) उत्पन्न होता है। (19)
केवल हिन्दी अनुवाद: हे पार्थ! वही यह प्राणी समुदाय उत्पन्न हो होकर संस्कार वश होकर रात्रिके प्रवेशकालमें लीन होता है और दिन के प्रवेशकालमें फिर उत्पन्न होता है। (19)