अध्याय 1 श्लोक 2

(सज्य उवाच)

दृष्टा तु, पाण्डवानीकम्, व्यूढम्, दुर्योधनः, तदा,
आचार्यम्, उपसग्म्य, राजा, वचनम्, अब्रवीत् ।।2।।

अनुवाद: (तदा) उस समय (राजा) राजा (दुर्योधनः) दुर्योंधनने (व्यूढम्) व्यूहरचनायुक्त (पाण्डवानीकम्) पाण्डवोंकी सेनाको (दृष्टा) देखकर (तु) और (आचार्यम्) द्रोणाचार्यके (उपसग्म्य) पास जाकर यह (वचनम्) वचन (अब्रवीत्) कहा। (2)

हिन्दी: उस समय राजा दुर्योंधन ने व्यूह रचनायुक्त पाण्डवों की सेनाको देखकर और द्रोणाचार्य के पास जाकर यह वचन कहा। (2)