अध्याय 4 श्लोक 1

(भगवान उवाच)

इमम्, विवस्वते, योगम्, प्रोक्तवान्, अहम्, अव्ययम्,
विवस्वान्, मनवे, प्राह, मनुः, इक्ष्वाकवे, अब्रवीत्।।1।।

अनुवाद: (अहम्) मैंने (इमम्) इस (अव्ययम्) अविनाशी (योगम्) भक्ति मार्ग को (विवस्वते) सूर्यसे (प्रोक्तवान्) कहा था (विवस्वान्) सूर्यने अपने पुत्र वैवस्वत (मनवे) मनु से (प्राह) कहा और (मनुः) मनुने अपने पुत्र (इक्ष्वाकवे) राजा इक्ष्वाकुसे (अब्रवीत्) कहा। (1)

हिन्दी: मैंने इस अविनाशी भक्ति मार्ग को सूर्यसे कहा था सूर्यने अपने पुत्र वैवस्वत मनु से कहा और मनुने अपने पुत्र राजा इक्ष्वाकुसे कहा।