अध्याय 7 श्लोक 28
येषाम्, तु, अन्तगतम्, पापम्, जनानाम्, पुण्यकर्मणाम्,
ते, द्वन्द्वमोहनिर्मुक्ताः, भजन्ते, माम्, दृढव्रताः ।।28।।
अनुवाद: (तु) परंतु निष्कामभावसे (पुण्यकर्मणाम्) श्रेष्ठ कर्मोंका आचरण करनेवाले (येषाम्) जिन (जनानाम्) पुरुषोंका (पापम्) पाप (अन्तगतम्) नष्ट हो गया है (ते) वे (द्वन्द्वमोहनिर्मुक्ताः) राग-द्वेषजनित द्वन्द्वरूप मोहसे मुक्त (दृढव्रताः) दृढ़निश्चयी भक्त (माम्) मुझको सब प्रकारसे (भजन्ते) भजते हैं। (28)
केवल हिन्दी अनुवाद: परंतु निष्कामभावसे श्रेष्ठ कर्मोंका आचरण करनेवाले जिन पुरुषोंका पाप नष्ट हो गया है वे राग-द्वेषजनित द्वन्द्वरूप मोहसे मुक्त दृढ़निश्चयी भक्त मुझको सब प्रकारसे भजते हैं। (28)