अध्याय 7 श्लोक 7

मत्तः, परतरम्, न, अन्यत्, किंचित, अस्ति, धनंजय,
मयि, सर्वम्, इदम्, प्रोतम्, सूत्रो, मणिगणाः, इव ।।7।।

अनुवाद: (धनंजय) हे धनंजय! उपरोक्त (मत्तः) अर्थात् सिद्धान्त से (अन्यत्) दूसरा (किंचित) कोई भी (परतरम्) परम कारण (न) नहीं (अस्ति) है। (इदम्) यह (सर्वम्) सम्पूर्ण जगत् (सूत्रो) सूत्रमें (मणिगणाः) मणियोंके (इव) सदृश (मयी) मुझ में (प्रोतम्) गुँथा हुआ है। (7)

केवल हिन्दी अनुवाद: हे धनंजय! उपरोक्त अर्थात् सिद्धान्त से दूसरा कोई भी परम कारण नहीं है। यह सम्पूर्ण जगत् सूत्रमें मणियोंके सदृश मुझ में गुँथा हुआ है। (7)